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तृतीय सीमान्त पर्वतीय जनपदीय बाल विज्ञान महोत्सव का शुभारंभ

पिथौरागढ़ में उत्तराखण्ड विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकाॅस्ट) द्वारा आयोजित तृतीय सीमान्त पर्वतीय जनपदीय बाल विज्ञान महोत्सव का शुभारंभ आज हर्षोल्लास के साथ हुआ। इस महोत्सव का आयोजन प्रसिद्ध भू-वैज्ञानिक पद्मश्री एवं पद्मभूषण प्रो. के. एस. वल्दिया की स्मृति में किया जा रहा है। यह दो दिवसीय आयोजन उत्तराखंड के सीमांत पर्वतीय जनपदों के छात्रों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का अनूठा अवसर प्रदान कर रहा है, जो उनकी वैज्ञानिक सोच और रचनात्मकता को विकसित करने में सहायक सिद्ध होगा।

कार्यक्रम का शुभारंभ विशिष्ट अतिथि माननीय कैबिनेट राज्यमंत्री, भारत सरकार एवं अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ लोकसभा के सांसद अजय टम्टा जी द्वारा किया गया। उन्होने अपने उद्बोधन में विज्ञान शिक्षा को दूरस्थ क्षेत्रों में पहुँचाने के यूकाॅस्ट के प्रयासों की सराहना की और छात्रों को अपने ज्ञान और कौशल को समाज के हित में उपयोग करने के लिए प्रेरित किया।

यूकाॅस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने स्वागत उद्बोधन देते हुए सभी अतिथियों, वैज्ञानिकों, शिक्षकों और छात्रों का अभिनंदन किया। उन्होंने बाल विज्ञान महोत्सव के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए इसे सीमांत क्षेत्रों के छात्रों में विज्ञान और नवाचार के प्रति रुचि बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास बताया।

कार्यक्रम में माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी का वीडियो संदेश भी प्रसारित किया गया, जिसमें उन्होंने सीमांत क्षेत्रों के छात्रों को विज्ञान की मुख्यधारा से जोड़ने और उनकी प्रतिभा को प्रोत्साहित करने के लिए प्रेरित किया। मैती आन्दोलन के संस्थापक पद्मश्री कल्याण सिंह रावत जी ने पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक प्रयासों के महत्व पर अपने विचार साझा किए। मानस ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स के अध्यक्ष डॉ. अशोक पंत ने छात्रों को शिक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में नवाचार की महत्ता बताई। डीएसटी भारत सरकार के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. डी. के. पाण्डे ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उपयोग के विषय में मार्गदर्शन प्रदान किया, वहीं सोबन सिंह जीना आवासीय विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा के पूर्व कुलपति प्रो. एन. एस. भण्डारी ने वैज्ञानिक सोच के विकास और शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला। बीरबल साहनी संस्थान, लखनऊ के पूर्व निदेशक डॉ. सी. एम. नौटियाल ने विज्ञान की जटिलताओं को समझने के लिए छात्रों को प्रेरित किया।

इस महोत्सव का उद्देश्य सीमांत क्षेत्रों के छात्रों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के प्रति रुचि उत्पन्न कर उन्हें भविष्य में समाज की उन्नति में योगदान के लिए प्रेरित करना है।

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